कम्युनिज्म
सआदत हसन मंटोवह अपने घर का तमाम ज़रूरी सामान एक ट्रक में लदवाकर दूसरे शहर जा रहा था कि रास्ते ...
सआदत हसन मंटोवह अपने घर का तमाम ज़रूरी सामान एक ट्रक में लदवाकर दूसरे शहर जा रहा था कि रास्ते ...
सआदत हसन मंटोएक आदमी ने अपने लिए लकड़ी का एक बड़ा संदूक चुना। जब उसे उठाने लगा तो संदूक अपनी ...
सआदत हसन मंटोउधर से मुसलमान और इधर से हिंदू अभी तक आ जा रहे थे। कैंपों के कैंप भरे पड़े ...
सआदत हसन मंटोगाड़ी रुकी हुई थी।तीन बंदूकची एक डिब्बे के पास आए। खिड़कियों में से अंदर झाँककर उन्होंने मुसाफ़िरों से पूछा—“क्यों ...
सआदत हसन मंटोमियाँ-बीवी बड़ी मुश्किल से घर का थोड़ा-सा सामान बचाने में कामयाब हो गए।एक जवान लड़की थी, उसका पता ...
सआदत हसन मंटोहुजूम ने रुख बदला और सर गंगाराम के वुत पर पिल पडा। लाठियां बरसाई गई, ईटें और पत्थर ...
सआदत हसन मंटोलबलबी दबी – पिस्तौल से झुँझलाकर गोली बाहर निकली.खिड़की में से बाहर झाँकनेवाला आदमी उसी जगह दोहरा हो ...
सआदत हसन मंटोअमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई ...
सआदत हसन मंटोबंटवारे के दो-तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हुकूमतों को ख्याल आया कि अख्लाकी कैदियों की तरह ...
सआदत हसन मंटोईश्वरसिंह ज्यों ही होटल के कमरे में दांखिला हुआ, कुलवन्त कौर पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तेज आँखों ...