• Home
    • Home – Layout 1
    • Home – Layout 2
    • Home – Layout 3
    • Home – Layout 4
    • Home – Layout 5
Saturday, December 6, 2025
31 °c
Ujjain
27 ° Sat
27 ° Sun
27 ° Mon
26 ° Tue
  • Setup menu at Appearance » Menus and assign menu to Main Navigation
  • Setup menu at Appearance » Menus and assign menu to Main Navigation
No Result
View All Result
  • Setup menu at Appearance » Menus and assign menu to Main Navigation
No Result
View All Result
Ujjain
No Result
View All Result
Home मुखपृष्ठ
रामू का मामू

रामू का मामू

by Admin
July 7, 2016
in मुखपृष्ठ
0
0
SHARES
120
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

1174897_158812744309049_1991695679_nबचपन में स्कूल के फाइनल परीक्षा के आखिरी दिन जितनी ख़ुशी परीक्षा के खत्म होने की नहीं होती थी, उससे ज्यादा ख़ुशी उसी शाम को रोडवेज की बस पकड़ नानी के पास जाने की होती थी, उस वक़्त रोडवेज की बस का ही सहारा था ! उज्जैन.. जहाँ नानी, नाना, मामा और मासियाँ ! प्यार बेशुमार मिलता था इकलौता नाती और भांजा होने का ! हर फरमाईश पूरी की जाती थी फिर चाहे वह कुछ खाने की हो या नए खिलौनों की ! हमारी नानीजान के हाथ का खाना आज भी मुँह में स्वाद घोल जाता है, उस पर मामा के साथ बाहर जाकर आइसक्रीम का लुफ्त उठाना ! ये सब क्रम चलता था पूरे 2 महीने, जब तक स्कूल दोबारा न खुल जाये ! आज भी ये मेरे जीवन की सबसे बढ़िया यादें हुआ करती हैं  !

फिर उम्र के साथ साथ पढाई खुशियों पर हावी होती गयी और उज्जैन की यात्राएं धीरे -२ कम होती गयी ! समय निकलता गया, सब कुछ बदलने लगा | मैं स्कूल के आखरी साल में थे और मेरा मन होटल मैनेजमेंट कोर्स करने का था ! खूब मेहनत करके सबसे अच्छे कॉलेज में मैंने एडमिशन भी हासिल लिया, पर वह सब कहाँ इतनी आसानी से नसीब में होता, जैसा आप चाहते है ? कुछ वजहों से मैं उस कॉलेज में जा पाया और इसका गुस्सा मैंने उदयपुर छोड़ कर उज्जैन जा कर निकाला ! ठान लिया कि अब कुछ करके ही आना था, ऐसे हार मान जाने वालों में से हम कहाँ थे ?

उज्जैन जाकर हमने पढाई से ज्यादा जिंदगी के पाठ सीखे और वह सीखे हमने हमारे बड़े मामा जिन्हें दुनिया हास्य कवि पंडित ओम व्यास ‘ओम’ के नाम से जानती है, पर वो थे हमारे ‘मुन्ना मामा’ | उज्जैन पदार्पण के साथ उन्होंने बड़े प्यार से मुझे ‘गुल्लू’ के बजाय एक नया नाम दिया ‘रामू’ | लम्बी चोटी, गोल चश्मा, लम्बा तिलक और मस्त सी तोंद,  जो उन्हें देखे, वह अपनी हँसी रोक ना  पाए और उस पर से उनके रंग बिरंगे कुर्ते ! माशा-अल्लाह !!

पहले मुझे उनके बारे में ज्यादा नहीं पता था, क्यूंकि बचपन में उनसे थोडा डर लगता था, हाँ इतना पता था की मामा BSNL में काम करते थे और ऑफिस से ज्यादा उनके चक्कर  पूरे हिंदुस्तान में लगते थे | मामा के साथ हमने भी खूब हिंदुस्तान देखा आखिर, उस समय के रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद ने उन्हें रेलवे का फर्स्ट क्लास का फ्री पास जो दे रखा था | उज्जैन में ऐसा कोई शख्स नहीं था जो मामा को नहीं पहचानता था, क्या बच्चा और क्या बूढा ? सब उनकी कलाकारी और वाक् शास्त्र से परिचित थे ! उनको उज्जैन में कभी अकेले न तो घूमता पाया गया न ही अकेले चाय पीते हुए,  हमेशा 4-5 लोग उन्हें घेर के खड़े रहते थे और चुटकुले बाज़ी के दौर चला करता था| 2 मिनट के काम के लिए उनके साथ बाज़ार जाना, मतलब गए आपके 2 घंटे !  मामा की एक और बात के हम कायल थे अगर उन्हें कोई कुछ बुरा भी बोल देता था तो वह मुस्कुराकर जवाब देते थे, मगर अभी कडवी बात किसी के लिए नहीं निकलती थी उनके मुँह से और उनका ये अंदाज़ हम आज तक नहीं सीख पाए ! जितनी बड़ी उनकी तोंद थी, अंदर से उतना बच्चे की तरह थे, किसी को इंजेक्शन तक लगते हुए नहीं देख सकते थे ! पर हाँ! किसी की मदद करने की ठान ले तो वह उस की मदद अपने परिवार की तरह करते थे ! आदमी बड़े तबके का तो बात उस तरह की और छोटे तबके का तो उसके हिसाब से बात ! उनके किस्से आज भी कहीं न कहीं किसी के मुँह से निकल ही जाया करते होंगे !

कहते है न “मामा” में 2 माँ होती है ये बात सच भी साबित हुई, मैंने अपने ननिहाल में 8 साल बिताये पढाई, काम , दुनियादारी सब सीखा वहां ! अच्छा, बुरा , मुश्किल हर तरह के वक़्त में अपने आप को ढालना सीखा ! उस घर का हिस्सा सा बन गया था मैं, कभी अपने घर की कमी महसूस नहीं हुई, थोड़ी बहुत खींचतान के साथ प्यार बेशुमार था, पर खींचतान किस घर में नहीं होती ! जिंदगी अच्छी कट रही थी, कहते ही न सब कुछ कभी एक सा नहीं रहता ! ज़िन्दगी को कुछ और ही मंज़ूर था !

वह एक 7 जून की सुबह थी, शायद 5 बजे होंगे मामा का कवि सम्मलेन था भोपाल के आगे विदिशा  में, उस दिन मेरा भी जन्मदिन होता हैं ! मामा ने जाते जाते वादा किया की वापस आकर मुझे मेरे  जन्मदिन के गिफ्ट दिलवाएंगे ! मैं सो गया और मामा चले गए अपने कवि सम्मेलन के लिए ! दिन सामान्य था रात में मामी ने बर्थडे के लिए ख़ास खाना बनाया था ! पर कौन जनता था ये रात की शान्ति आने वाले भूकंप की आहट दबाये हुए है ! सुबह 4 बजे पप्पू मामा मेरे पास भागते हुए आये, सुबह का समय सबसे ज्यादा अच्छी नींद का होता है ! मुझे धीरे से उठाकर कान में कुछ कहा जिसको सुनकर मेरी नींद के साथ साथ होंश उड़ गए ! मुन्ना मामा की कार का विदिशा से वापस आते वक़्त एक्सिडेंट हो गया था और कौन किस हालत में था ये अभी तक किसी को नहीं पता था ! पर मन एक डर सा बैठ गया था, इतना मुझे अच्छे से पता था की मामा हमेशा ही आगे वाली सीट पर बैठते हैं और ड्राईवर की नींद न लग जाये इसलिए उसे चाय, तम्बाकू पिलाते खिलते रहते थे ! इस बात ने और डरा दिया | खैर, पप्पू मामा को मै मुन्ना मामा के मित्र के यहाँ छोड़ कर आया पर घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी ! मैंने वहीँ से अपने मम्मी पापा को फ़ोन करके उज्जैन आने का बोला जिससे मेरी हिम्मत और घर में सबकी हिम्मत बनी रहे|  अब सवाल था घर पर सबको कैसे इस खबर से दूर रखा जाये, मगर बात आग की तरह फ़ैल गयी | टीवी , अखबार और लोगों का मजमा घर के बाहर ! उस दिन एक बात तो पता चल गयी की मुन्ना मामा को  पूरा उज्जैन और शायद हिंदुस्तान दिल से प्यार करते हैं !

पूरा देश और विदेश में भी लोग मामा के जल्दी स्वस्थ हो मंच पर लौटने की प्रार्थना में लग गए ! दुर्घटना भीषण थी और मुन्ना मामा की स्थिति गंभीर ! घर में हवन, पूजा पाठ और सबकी दुआएं मुन्ना मामा के लिए दिन रात चल रही थी ! मैं भी हिम्मत रख के घर में नानी और बाक़ी सभी का ध्यान रख रहा था पर सहमा सा डरा हुआ सा | रोज़ इस उम्मीद में सब उठते थे की आज दिल्ली से पप्पू मामा कुछ अच्छी खबर देंगे | हर दिन एक और उम्मीद के साथ अस्त हो जाता था | दिल्ली के अपोलो में मुन्ना मामा का इलाज चल रहा था पप्पू मामा और मुन्ना मामी दिन रात वहां रहकर बाकी सबके लिए आंख और कान बने हुए थे ! बड़े छोटों को और छोटे बड़ों को रोज़ हिम्मत दिया करते कि सब ठीक हो जायेगा मगर मन ही मन सब डरे, सहमे, और कमज़ोर थे | इन सब में नानी की हिम्मत देखने लायक थी जो खुद उम्रदराज़ होते हुए भी एक एक को भरपूर हौसला देती रहती थी |

दिन गिनते गिनते कब महीना निकल गया पता नहीं चला !

पर कहते है न हर चीज़ इंसान के हाथ में आ जाये तो भगवान् को कौन पूछेगा, उसने कुछ और ही सोच रखा था और उसका सोचा किसी को नहीं पता होता | 8 जुलाई की भोर दिल्ली के अस्पताल में मुन्ना मामा ने आखरी सांस ली और उस आखरी सांस ने न जाने कितनों की बाकी की ज़िन्दगी से हंसी और ख़ुशी छीन ली | आज भी अंदर से कांप उठता हूँ वह सब मंज़र सोच कर जिसकी कल्पना मात्र कोई नहीं कर सकता |

gullu-omमुन्ना मामा के साथ मेरे कुछ पल ऐसे रहे हैं जो आज भी याद आते हैं तो रोना नहीं आता मुस्कराहट आती है, वह पल शायद मामा ने किसी और के साथ नहीं बांटे होंगे ! मामा की अंतिम यात्रा किसी त्यौहार से कम नहीं थी जिसको पूरे उज्जैन ने हर्षोउल्लास से मनाया | पूरा उज्जैन, क्या अमीर, क्या गरीब, क्या बड़ा, क्या छोटा सब उस अंतिम यात्रा में मुन्ना मामा के साथ थे ! उस दिन ये सब देख के मामा की कही एक बात याद आ गयी जो एक यात्रा में मुझे कहीं थी “गुल्लू! पैसा तो आता जाता रहता है उससे हम चीज़ें खरीद सकते हैं, असली कमाई आपकी अंतिम यात्रा में कितनी भीड़ है उससे मालूम पड़ेगी, और देखना अपन कितनी अमीरी में जायेंगे“ | उस दिन मैं मामा की अमीरी देख के धन्य हो गया !

इस जीवन रूपी चक्र में सब को आना है और जाना है ! कौन कब , कैसे जायेगा वह सिर्फ उपर वाला तय करता है ! आज 7 साल हो गए नानी के घर में आज भी ठहाके लगते हैं, मामा आज भी उस घर में है क्यूंकि पवित्र लोग घर से खुशियाँ ले कर नहीं जाते , वह उन खुशियों के साथ उस घर में हमेशा वास करते हैं ! इतने साल बीत जाने के बाद भी रोज़ किसी न किसी बात पर ‘मुन्ना’ याद आ ही जाता है और एक मुस्कान चेहरे पर छोड़ जाता है !

मैं उम्र और कद में बहुत छोटा हूँ इतने बड़े हास्य कवि के बारे में लिखने के लिए, पर मामा मेरे दिल और जिंदगी के बहुत करीब रहे हैं और आज भी है | बस…दिल में एक ही मलाल है, जो हुआ जल्दी हुआ | एक मसखरा सबको रुला कर पंचतत्व में विलीन हो गया, जहाँ रहें वहां से ठहाके बरसाते रहें इसी दुआ के साथ यहाँ विराम देता हूँ ! क्यूंकि कवि महोदय उर्फ़ मुन्ना मामा के लिए लिखने बैठो तो शब्द और जगह दोनों ही कम पढ़ जायेंगे !

  • भुवन महता !! उर्फ़ गुल्लू उर्फ़ ‘ रामू’
Tags: om vyas 'om'ओम व्यास 'ओम'
Admin

Admin

Related Posts

अगस्त्य संहिता का विद्युत्-शास्त्र

अगस्त्य संहिता का विद्युत्-शास्त्र

by Admin
June 12, 2024
0
107

सामान्यतः हम मानते हैं की विद्युत बैटरी का आविष्कार बेंजामिन फ़्रेंकलिन ने किया था, किन्तु आपको यह जानकार सुखद आश्चर्य...

देह दान : सवाल – जवाब

देह दान : सवाल – जवाब

by Admin
June 11, 2024
0
96

Q. देहदान क्यों आवश्यक है? A. समाज को कुशल चिकित्सक देने हेतु उसको मानव शरीर रचना का पूरा ज्ञान होना...

उज्जैन की कचौरियां

उज्जैन की कचौरियां

by Admin
July 23, 2019
0
206

60 के दशक में अब्दुल मतीन नियाज़ ने एक बच्चों के लिए नज़्म लिखी 'चाट वाला' जिसमें उन्होंने उज्जैन की...

श्वेत श्याम : जीवन के रंग

श्वेत श्याम : जीवन के रंग

by Admin
December 29, 2018
0
70

कितने जीवंत हो सकते है श्वेत श्याम रंग भी ! देखिये सौरभ की नज़रों से .. सौरभ, उज्जैन के प्र्तिबद्ध...

ये ओडीएफ क्या बला है?

ये ओडीएफ क्या बला है?

by Admin
December 28, 2018
0
70

आज अखबार में एक खबर थी कि खुले स्थान पर कुत्ते को शौच कराते हुए किसी व्यक्ति से ओडीएफ++ के...

पचास साल पहले : उज्जैन | डाॅ.मुरलीधर चाँदनीवाला

पचास साल पहले : उज्जैन | डाॅ.मुरलीधर चाँदनीवाला

by Admin
January 22, 2018
0
201

1-1955-56 में हमारा परिवार सतीगेट से सटे हुए मकान में रहता था।नीचे जनसेवा केमिस्ट की दुकान थी। दूसरे आमचुनाव के...

Next Post
मंगलनाथ : मंगल दोषों का निवारण

मंगलनाथ : मंगल दोषों का निवारण

Recommended

उज्जैन की शान : घंटाघर

उज्जैन की शान : घंटाघर

11 years ago
55
बड़े जूना अखाड़े की पेशवाई  : अप्रैल  5, 2016 : झलकियाँ -2

बड़े जूना अखाड़े की पेशवाई : अप्रैल 5, 2016 : झलकियाँ -2

10 years ago
27

Popular News

    Connect with us

    • मुखपृष्ठ
    • इतिहास
    • दर्शनीय स्थल
    • शहर की हस्तियाँ
    • विशेष
    • जरा हट के
    • खान पान
    • फेसबुक ग्रुप – उज्जैन वाले
    Call us: +1 234 JEG THEME

    सर्वाधिकार सुरक्षित © 2019. प्रकाशित सामग्री को अन्यत्र उपयोग करने से पहले अनिवार्य स्वीकृति प्राप्त कर लेवे.

    No Result
    View All Result
    • मुखपृष्ठ
    • इतिहास
    • दर्शनीय स्थल
    • शहर की हस्तियाँ
    • विशेष
    • जरा हट के
    • खान पान
    • फेसबुक ग्रुप – उज्जैन वाले
      • आगंतुकों का लेखा जोखा

    सर्वाधिकार सुरक्षित © 2019. प्रकाशित सामग्री को अन्यत्र उपयोग करने से पहले अनिवार्य स्वीकृति प्राप्त कर लेवे.

    Login to your account below

    Forgotten Password?

    Fill the forms bellow to register

    All fields are required. Log In

    Retrieve your password

    Please enter your username or email address to reset your password.

    Log In
    This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used. Visit our Privacy and Cookie Policy.