पद्मभूषण, साहित्य-वाचस्पति डॉ. पं. सूर्यनारायण जी व्यास के सबसे छोटे पुत्र श्री राजशेखर व्यास चर्चित लेखक, संपादक, विख्यात निर्माता-निदेशक हैं । वे अनेक भाषाओं में अपने लेखन, निर्माण-निर्देशन,सम्पादन, मौलिक चिन्तन के लिए विख्यात हैं । राजशेखर क्रेम्बीज (इंग्लैंड) के उप महानिदेशक रहे । सम्प्रति, दूरदर्शन महानिदेशालय में अतिरिक्त महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं । इंडियन ब्रॉड कास्टिंग सर्विस में चयन (१९९२ ) और केंद्र निदेशक दूरदर्शन दिल्ली से आरम्भ कर आज दूरदर्शन पर इस पद तक पहुंचने वाले कमलेश्वर के बाद, राजशेखर दूसरे ऐसे साहित्यकार हैं
अभी तक उनकी 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है, 4000 से ज्यादा लेख देश-विदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित, 200 से ज्यादा वृत्तचित्र, कार्यक्रम, रूपक फीचर, रिपोर्ताज टी.बी. पर प्रसारित हो चुके हैं । अकेले अपने दम पर अपनी जन्मभूमि उज्जयिनी पर ३ महत्त्वपूर्ण वृत्तचित्र : ‘जयति जय उज्जयिनी’, काल’ और ‘ द टाइम ‘ का निर्माण कर चुके हैं । राजशेखर रहते दिल्ली में जरूर है पर, उनके दिल में हर पल उज्जैन धडकता हैं। उजायिनी पर उनकी फ़िल्में और किताबें ‘जयति जय उज्जयिनी’ देश के हर घर की शोभा हैं।
वे फ्रांस, यूरोप, मलेशिया, सिंगापुर, अमेरिका आदि विदेशों की यात्रा कर चुके है । फ्रांस सत्कार, संस्कृति मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय भारत से सम्मान, फेलोशिप, ए.बी.यू./ए.आइ.बी.डी. सिंगापुर एवं मलेशिया से ‘मेन ऑफ द ईयर’ सम्मान, विश्व हिंदी सम्मेलन, न्यूयॉकॅ में सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली का “पत्रकारिता सम्मान ‘ इत्यादि उपाधियों से सम्मानित किये जा चुके हैं ।
राजशेखर ‘कालचक्र’ के आरंभिक सहयोगी रहे है । वे विलक्षण वक्ता,कवि-समीक्षक आलोचक हैं । क्रन्तिकारी साहित्य और क्रांतिकारियों पर बनायीं असंख्य फिल्म्स के लिए सारे देश के दुलारे लेखक हैं श्री राजशेखर व्यास । संसद भवन में स्थापित भगतसिंह की प्रतिमा के प्रेरणा स्त्रोत भी श्री व्यास हैं ।
उनकीं चर्चित पुस्तके ‘मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ’ (3 खंड), ‘मृत्युजय भगतसिंह’, ‘इन्कलाब’, ‘सुभाष-कुछ अधखुले पन्ने‘, ‘सरहद पार सुभाष’, ‘याद आते हैं’, ‘यादें’, ‘स्वाभिमान के सूर्य’, ‘विक्रमादित्य’, ‘विश्वकवि कालिदास’, ‘माँ, स्वर्णिम भारत ‘, ‘उग्र के सात रंग’, ‘क्रांतिकारी कहानियाँ’, ‘आँखों देखा अमेरिका’, “शोक गीत’, ‘एक जगह उग्र’, ‘अतुल्य भारत है’ इत्यादि है ।
उनकी बनायीं फिल्म्स या उनके व्याख्यान के लिए यहाँ क्लिक करें