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कामिनी कामायनी |
“क्या हुआ …लडका या लडकी …”
“लडका… या …लडकी .. .मुझे क्या पता”
“वाह…तुम्हें ही नहीं पता .. . फिर जन्म किसको दिया।’’
“जन्म… . जन्म तो मैंने एक संतान को दिया… .दुनिया की निगाह में वह लडका या लडकी हो सकता है। मेरे लिए तो मेरे कलेजे का टुकडा मात्र है…मेरा संतान . ..नौ महीने में एक बार भी नहीं सोचा कि क्या लिंग होगा .. .हाँ यह सोच सोच के रोमांचित ज़रूर होती रही कि “मॉ’ कहने वाला आ रहा है।”