नागर की कचौरी

तो चलिए, इस बार आपको लिए चलते है नए ‘ठीये’ पर .. जहां की ‘कचौरी’ बेहद बढ़िया है (माफ कीजिये! ये ‘रेटिंग’ मेरी अपनी स्वाद ग्रंथी के हिसाब से है, कुछ लोग यहाँ के ‘समोसे’ ज्यादा पसंद करते है )

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दुकान के बोर्ड पर ‘आनन्द ही आनन्द’ – ‘नागर के टेस्टफुल कचोरी, समोसे – क्वालिटी नं – १ ‘ और ‘एक बार खाओगे तो कभी ना भूल पाओगे’ पढते ही आप समझ जायेंगे की आप मालवा का असली ‘स्वादानंद’ बांटने वाले एकदम सही ‘अड्डे’ पर आ पहुचें है |

ये है सोनू नागर (वैसे, इनका नाम इसके दोस्तों के मोबाइल में ‘सोनू-कचौरी’ के नाम से दर्ज रहता है), जो ऋषि-नगर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के पिछवाडा आपको आनन्द बिखेरते मिल जायेंगे ! एक स्ट्रीट-फ़ूड ‘ठीया’ होते हुए भी, आप ‘नागर्स’ की मुस्कान और साफ़ सुथरी दुकान को दाद दिए बिना नहीं रह पाएंगे (दुकान पर ‘नागर्स’ को बिना एप्रिन पहने शायद ही कभी दिखें) |

धीमी आंच पर पकती हर एक कचोरी ‘उस्ताद’ की नजरों में रहती है, कब किसे ‘पलटी’ देना है, ये ब-खूबी जानते है | चाहे कितनी भी भीड़ हो, जब तक सही सिकाई न हो, ‘घान’, कढाई के बाहर नहीं आ सकता | उम्दा ‘सोंठ’ चटनी के साथ इसका मजा दुगना हो जाता है

अनार के दाने से सजी पोहे का कढाव आपको शायद एक-आध ‘पिलेट’ पोहे दबा लेने को आमादा कर दे ? या फिर ‘नागर्स’ के मेनू में ताजा जुडी ‘जलेबी’ की कडकडाहट आपके मुंह में पानी ला दे ? कौन जाने ? खैर .. इस रविवार, धीमी आंच पर पकती हुई गरमा गर्म कचोरी, समोसों, कड़क जलेबी और पोहे का स्वाद लेने सोनू की दुकान पर जरूर पहुचे | और अपनी राय से वाकिफ करना ना भूलें !

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