• Home
    • Home – Layout 1
    • Home – Layout 2
    • Home – Layout 3
    • Home – Layout 4
    • Home – Layout 5
Saturday, December 6, 2025
31 °c
Ujjain
27 ° Sat
27 ° Sun
27 ° Mon
26 ° Tue
  • Setup menu at Appearance » Menus and assign menu to Main Navigation
  • Setup menu at Appearance » Menus and assign menu to Main Navigation
No Result
View All Result
  • Setup menu at Appearance » Menus and assign menu to Main Navigation
No Result
View All Result
Ujjain
No Result
View All Result
Home मुखपृष्ठ
तांत्रिकों का गढ़ : चक्रतीर्थ  और गढ़कालिका

तांत्रिकों का गढ़ : चक्रतीर्थ और गढ़कालिका

by Admin
July 2, 2015
in मुखपृष्ठ, विशेष, सिंहस्थ २०१६
0
0
SHARES
620
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

aghori-0उज्जैन में चक्रतीर्थ  और गढ़कालिका का स्थान तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। आईये देखे क्या है ये अघोर पंथ और क्या है यह अघोर साधना ?

आधी रात के बाद का समय। घोर अंधकार का समय। जिस समय हम सभी गहरी नींद के आगोश में खोए रहते हैं, उस समय घोरी-अघोरी-तांत्रिक श्‍मशान में जाकर तंत्र-क्रियाएँ करते हैं। घोर साधनाएँ करते हैं। अघोरियों का नाम सुनते ही अमूमन लोगों के मन में डर बैठ जाता है। अघोरी की कल्पना की जाए तो शमशान में तंत्र क्रिया करने वाले किसी ऐसे साधू की तस्वीर जहन में उभरती है जिसकी वेशभूषा डरावनी होती है।

अघोर विद्या वास्तव में डरावनी नहीं है। उसका स्वरूप डरावना होता है। अघोर का अर्थ है अ+घोर यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो, जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। और सरल बनना बड़ा ही कठिन है। सरल बनने के लिए ही अघोरी को कठिन साधना करनी पड़ती है। आप तभी सरल बन सकते हैं जब आप अपने से घृणा को निकाल दें। इसलिए अघोर बनने की पहली शर्त यह है कि इसे अपने मन से घृणा को निकला देना होगा। अघोर क्रिया व्यक्त को सहज बनाती है। मूलत: अघोरी उसे कहते हैं जिसके भीतर से अच्छे-बुरे, सुगंध-दुर्गंध, प्रेम-नफरत, ईष्र्या-मोह जैसे सारे भाव मिट जाए। जो किसी में फ़र्क़ न करे। जो शमशान जैसी डरावनी और घृणित जगह पर भी उसी सहजता से रह ले जैसे लोग घरों में रहते हैं। अघोरी लाशों से सहवास करता है और मानव के मांस का सेवन भी करता है। ऐसा करने के पीछे यही तर्क है कि व्यक्ति के मन से घृणा निकल जाए। जिनसे समाज घृणा करता है अघोरी उन्हें अपनाता है। लोग श्मशान, लाश, मुर्दे के मांस व कफ़न से घृणा करते हैं लेकिन अघोर इन्हें अपनाता है।

aghori-2

अघोर विद्या भी व्यक्ति को ऐसी शक्ति देती है जो उसे हर चीज़ के प्रति समान भाव रखने की शक्ति देती है। अघोरी तंत्र को बुरा समझने वाले शायद यह नहीं जानते हैं कि इस विद्या में लोक कल्याण की भावना है। अघोर विद्या व्यक्ति को ऐसा बनाती है जिसमें वह अपने-पराए का भाव भूलकर हर व्यक्ति को समान रूप से चाहता है, उसके भले के लिए अपनी विद्या का प्रयोग करता है।

अघोर विद्या या अघोरी डरने के पात्र नहीं होते हैं, उन्हें समझने की दृष्टि चाहिए। अघोर विद्या के जानकारों का मानना है कि जो असली अघोरी होते हैं वे कभी आम दुनिया में सक्रिय भूमिका नहीं रखते, वे केवल अपनी साधना में ही व्यस्त रहते हैं। हां, कई बार ऐसा होता है कि अघोरियों के वेश में कोई ढोंगी, आपको ठग सकता है। अघोरियों की पहचान ही यही है कि वे किसी से कुछ मांगते नहीं है।

साधना की एक रहस्यमयी शाखा है अघोरपंथ। उनका अपना विधान है, अपनी अलग विधि है, अपना अलग अंदाज है जीवन को जीने का। अघोरपंथी साधक अघोरी कहलाते हैं। खाने-पीने में किसी तरह का कोई परहेज नहीं, रोटी मिले रोटी खा लें, खीर मिले खीर खा लें, बकरा मिले तो बकरा, और मानव शव यहां तक कि सड़ते पशु का शव भी बिना किसी वितृष्णा के खा लें। अघोरी लोग गाय का मांस छोड़ कर बाकी सभी चीजों का भक्षण करते हैं। मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक। अघोरपंथ में शायद श्मशान साधना का विशेष महत्व है, इसीलिए अघोरी शमशान वास करना ही पंसद करते हैं। श्मशान में साधना करना शीघ्र ही फलदायक होता है। श्मशान में साधारण मानव जाता ही नहीं, इसीलिए साधना में विध्न पड़ने का कोई प्रश्न नहीं।

aghori-1

अघोरियों के बारे में मान्यता है। कि बड़े ही जिद्दी होते हैं, अगर किसी से कुछ मागेंगे, तो लेकर ही जायेगे। क्रोधित हो जायेंगे तो अपना तांडव दिखाये बिना जायेंगे नहीं। एक अघोरी बाबा की आंखे लाल सुर्ख होती हैं मानों आंखों में प्रचंड क्रोध समाया हुआ हो। आंखों में जितना क्रोध दिखाई देता हैं बातों में उतनी शीतलता होती हैं जैसे आग और पानी का दुर्लभ मेल हो। गंजे सिर और कफ़न के काले वस्त्रों में लिपटे अघोरी बाबा के गले में धातु की बनी नरमुंड की माला लटकी होती हैं।

अघोरी श्‍मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं – श्‍मशान साधना, शिव साधना, शव साधना। शव साधना के चरम पर मुर्दा बोल उठता है और आपकी इच्छाएँ पूरी करता है। इस साधना में आम लोगों का प्रवेश वर्जित रहता है। ऐसी साधनाएँ अक्सर तारापीठ के श्‍मशान, कामाख्या पीठ के श्‍मशान, त्र्यम्‍बकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्‍मशान में होती है।

शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना की जाती है। बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पाँव है। ऐसी साधनाओं में मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाया जाता है।

aghori-4शव और शिव साधना के अतिरिक्त तीसरी साधना होती है श्‍मशान साधना, जिसमें आम परिवारजनों को भी शामिल किया जा सकता है। इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यहाँ प्रसाद के रूप में भी मांस-मंदिरा की जगह मावा चढ़ाया जाता है।

तांत्रिकों के प्रमुख स्थान :

तारापीठ का श्मशान : कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर स्थित तारापीठ धाम की खासियत यहां का महाश्मशान है। वीरभूम की तारापीठ (शक्तिपीठ) अघोर तांत्रिकों का तीर्थ है। यहां आपको हजारों की संख्या में अघोर तांत्रिक मिल जाएंगे। तंत्र साधना के लिए जानी-मानी जगह है तारापीठ, जहां की आराधना पीठ के निकट स्थित श्मशान में हवन किए बगैर पूरी नहीं मानी जाती। कालीघाट को तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है।

कामाख्या पीठ के श्मशान : कामाख्या पीठ भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जो असम प्रदेश में है। कामाख्या देवी का मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। प्राचीनकाल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र-सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। कालिका पुराण तथा देवीपुराण में ‘कामाख्या शक्तिपीठ’ को सर्वोत्तम कहा गया है और यह भी तांत्रिकों का गढ़ है।

रजरप्पा का श्मशान : रजरप्पा में छिन्नमस्ता देवी का स्थान है। रजरप्पा की छिन्नमस्ता को 52 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है लेकिन जानकारों के अनुसार छिन्नमस्ता 10 महाविद्याओं में एक हैं। उनमें 5 तांत्रिक और 5 वैष्णवी हैं। तांत्रिक महाविद्याओं में कामरूप कामाख्या की षोडशी और तारापीठ की तारा के बाद इनका स्थान आता है।

चक्रतीर्थ का श्मशान : मध्यप्रदेश के उज्जैन में चक्रतीर्थ नामक स्थान और गढ़कालिका का स्थान तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। उज्जैन में काल भैरव और विक्रांत भैरव भी तांत्रिकों का मुख्य स्थान माना जाता है।

Admin

Admin

Related Posts

बिना इंटरनेट के UPI भुगतान कैसे करें

बिना इंटरनेट के UPI भुगतान कैसे करें

by Admin
July 13, 2024
0
95

भारत में तीव्र इंटरनेट पर UPI की शुरुआत ने फ़ोन उपयोगकर्ताओं के भुगतान के तरीके को बदल दिया है। इसकी...

अगस्त्य संहिता का विद्युत्-शास्त्र

अगस्त्य संहिता का विद्युत्-शास्त्र

by Admin
June 12, 2024
0
107

सामान्यतः हम मानते हैं की विद्युत बैटरी का आविष्कार बेंजामिन फ़्रेंकलिन ने किया था, किन्तु आपको यह जानकार सुखद आश्चर्य...

देह दान : सवाल – जवाब

देह दान : सवाल – जवाब

by Admin
June 11, 2024
0
96

Q. देहदान क्यों आवश्यक है? A. समाज को कुशल चिकित्सक देने हेतु उसको मानव शरीर रचना का पूरा ज्ञान होना...

उज्जैन की कचौरियां

उज्जैन की कचौरियां

by Admin
July 23, 2019
0
206

60 के दशक में अब्दुल मतीन नियाज़ ने एक बच्चों के लिए नज़्म लिखी 'चाट वाला' जिसमें उन्होंने उज्जैन की...

श्वेत श्याम : जीवन के रंग

श्वेत श्याम : जीवन के रंग

by Admin
December 29, 2018
0
70

कितने जीवंत हो सकते है श्वेत श्याम रंग भी ! देखिये सौरभ की नज़रों से .. सौरभ, उज्जैन के प्र्तिबद्ध...

ये ओडीएफ क्या बला है?

ये ओडीएफ क्या बला है?

by Admin
December 28, 2018
0
70

आज अखबार में एक खबर थी कि खुले स्थान पर कुत्ते को शौच कराते हुए किसी व्यक्ति से ओडीएफ++ के...

Next Post
कौन होते है नागा साधू ?

कौन होते है नागा साधू ?

Recommended

टोबा टेकसिंह

11 years ago
35
कम्युनिज्म

खुदा की कसम

11 years ago
49

Popular News

    Connect with us

    • मुखपृष्ठ
    • इतिहास
    • दर्शनीय स्थल
    • शहर की हस्तियाँ
    • विशेष
    • जरा हट के
    • खान पान
    • फेसबुक ग्रुप – उज्जैन वाले
    Call us: +1 234 JEG THEME

    सर्वाधिकार सुरक्षित © 2019. प्रकाशित सामग्री को अन्यत्र उपयोग करने से पहले अनिवार्य स्वीकृति प्राप्त कर लेवे.

    No Result
    View All Result
    • मुखपृष्ठ
    • इतिहास
    • दर्शनीय स्थल
    • शहर की हस्तियाँ
    • विशेष
    • जरा हट के
    • खान पान
    • फेसबुक ग्रुप – उज्जैन वाले
      • आगंतुकों का लेखा जोखा

    सर्वाधिकार सुरक्षित © 2019. प्रकाशित सामग्री को अन्यत्र उपयोग करने से पहले अनिवार्य स्वीकृति प्राप्त कर लेवे.

    Login to your account below

    Forgotten Password?

    Fill the forms bellow to register

    All fields are required. Log In

    Retrieve your password

    Please enter your username or email address to reset your password.

    Log In
    This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used. Visit our Privacy and Cookie Policy.